देखने में आ रहा है कि आजकल धड़ाधड़ प्राइवेट विश्वविद्यालय खुलते जा रहे हैं। शिक्षा का व्यवसायीकरण हो रहा है। कुछ का कहना है कि शासकीय विश्वविद्यालय सफ़ेद हाथी हो गए हैं और अकारण ही शासन का विशाल बजट चूस लेते हैं। व्यवसायीकरण अच्छा है, इस से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और प्रतिस्पर्धा से हमेशा गुणवत्ता का विकास होता है। कुछ का मानना है कि व्यवसायीकरण से डिग्रीयां बिकने लग जाएंगी और देश गर्त में चला जाएगा। आपकी क्या राय है?